शुक्रवार, 8 जून 2012

दोहावली .... भाग 15 / संत कबीर

जन्म  --- 1398

निधन ---  1518



आस पराई राखता, खाया घर का खेत

औरन को पथ बोधता, मुख में डारे रेत 141


आवत गारी एक है, उलटन होय अनेक

कह कबीर नहिं उलटिये, वही एक की एक 142


आहार करे मनभावता, इंद्री की स्वाद

नाक तलक पूरन भरे, तो कहिए कौन प्रसाद 143


आए हैं सो जाएँगे, राजा रंक फकीर

एक सिंहासन चढ़ि चले, एक बाँधि जंजीर 144


आया था किस काम को, तू सोया चादर तान

सूरत सँभाल काफिला, अपना आप पह्चान 145


उज्जवल पहरे कापड़ा, पान-सुपरी खाय

एक हरि के नाम बिन, बाँधा यमपुर जाय 146


उतते कोई आवई, पासू पूछूँ धाय

इतने ही सब जात है, भार लदाय लदाय 147


अवगुन कहूँ शराब का, आपा अहमक होय

मानुष से पशुआ भया, दाम गाँठ से खोय 148


एक कहूँ तो है नहीं, दूजा कहूँ तो गार

है जैसा तैसा रहे, रहे कबीर विचार 149


ऐसी वाणी बोलिए, मन का आपा खोए

औरन को शीतल करे, आपौ शीतल होय 150

12 टिप्‍पणियां:

  1. ऐसी वाणी बोलिए, मन का आपा खोए ।
    औरन को शीतल करे, आपौ शीतल होय

    बहुत ही अच्छी प्रस्तुति । कबीर जी ने सही कहा है -किसी भी मनुष्य को नाणी से दरिद्र नही होना चाहिए । इस दोहे की पृष्ठभूमि में एक गहन दार्शनिक भाव अंतर्निहित है। इस पर एक लंबे व्याख्या की जरूरत पड़ेगी । अत: संक्षेप में कहूंगा -- जरा सोच लो दिल दुखाने के पहले......।

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  2. अवगुन कहूँ शराब का, आपा अहमक होय ।

    मानुष से पशुआ भया, दाम गाँठ से खोय ॥ 148 ॥


    कबीर की कई उलट वासियान आज भी अ -व्याख्यायित हैं .

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  3. आस पराई राखता, खाया घर का खेत ।

    औरन को पथ बोधता, मुख में डारे रेत
    कबीर का जबाब नहीं.

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  4. अवगुन कहूँ शराब का, आपा अहमक होय ।

    मानुष से पशुआ भया, दाम गाँठ से खोय ॥ 148 ॥
    KABIR TO KABIR JHI HAE ,KABHI BHI PADHENGE,WOH SAM SAMAYIK HI RAHENGE.

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  5. मान बड़ाई देखि कर, भक्ति करै संसार।
    जब देखैं कछु हीनता, अवगुन धरै गंवार।।

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  6. एक कहूँ तो है नहीं, दूजा कहूँ तो गार ।
    है जैसा तैसा रहे, रहे कबीर विचार ॥
    एक दोहे में सब कुछ तो कह दिया .... अब हम क्या कहें?

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  7. आया था किस काम को, तू सोया चादर तान ।

    सूरत सँभाल ए काफिला, अपना आप पह्चान ॥

    कबीर की वाणी हमें झिंझोड़ती है स्वयं को पहचानने के लिए. अच्छी प्रस्तुति.

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  8. आए हैं सो जाएँगे, राजा रंक फकीर ....sahi bat par kitno ko yad rahta hai....

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  9. स्तुत्य है यह कबीर ग्रंथावली .शुक्रिया .

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  10. स्तुत्य है यह कबीर ग्रंथावली .शुक्रिया .

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