जन्म --- 1398
निधन --- 1518
आस पराई राखता, खाया घर का खेत ।
औरन को पथ बोधता, मुख में डारे रेत ॥ 141 ॥
आवत गारी एक है, उलटन होय अनेक ।
कह कबीर नहिं उलटिये, वही एक की एक ॥ 142 ॥
आहार करे मनभावता, इंद्री की स्वाद ।
नाक तलक पूरन भरे, तो कहिए कौन प्रसाद ॥ 143 ॥
आए हैं सो जाएँगे, राजा रंक फकीर ।
एक सिंहासन चढ़ि चले, एक बाँधि जंजीर ॥ 144 ॥
आया था किस काम को, तू सोया चादर तान ।
सूरत सँभाल ए काफिला, अपना आप पह्चान ॥ 145 ॥
उज्जवल पहरे कापड़ा, पान-सुपरी खाय ।
एक हरि के नाम बिन, बाँधा यमपुर जाय ॥ 146 ॥
उतते कोई न आवई, पासू पूछूँ धाय ।
इतने ही सब जात है, भार लदाय लदाय ॥ 147 ॥
अवगुन कहूँ शराब का, आपा अहमक होय ।
मानुष से पशुआ भया, दाम गाँठ से खोय ॥ 148 ॥
एक कहूँ तो है नहीं, दूजा कहूँ तो गार ।
है जैसा तैसा रहे, रहे कबीर विचार ॥ 149 ॥
ऐसी वाणी बोलिए, मन का आपा खोए ।
औरन को शीतल करे, आपौ शीतल होय ॥ 150 ॥
ऐसी वाणी बोलिए, मन का आपा खोए ।
जवाब देंहटाएंऔरन को शीतल करे, आपौ शीतल होय
बहुत ही अच्छी प्रस्तुति । कबीर जी ने सही कहा है -किसी भी मनुष्य को नाणी से दरिद्र नही होना चाहिए । इस दोहे की पृष्ठभूमि में एक गहन दार्शनिक भाव अंतर्निहित है। इस पर एक लंबे व्याख्या की जरूरत पड़ेगी । अत: संक्षेप में कहूंगा -- जरा सोच लो दिल दुखाने के पहले......।
Kabeer ke bareme kya kahen!
जवाब देंहटाएंअवगुन कहूँ शराब का, आपा अहमक होय ।
जवाब देंहटाएंमानुष से पशुआ भया, दाम गाँठ से खोय ॥ 148 ॥
कबीर की कई उलट वासियान आज भी अ -व्याख्यायित हैं .
very nice....
जवाब देंहटाएंआस पराई राखता, खाया घर का खेत ।
जवाब देंहटाएंऔरन को पथ बोधता, मुख में डारे रेत
कबीर का जबाब नहीं.
अवगुन कहूँ शराब का, आपा अहमक होय ।
जवाब देंहटाएंमानुष से पशुआ भया, दाम गाँठ से खोय ॥ 148 ॥
KABIR TO KABIR JHI HAE ,KABHI BHI PADHENGE,WOH SAM SAMAYIK HI RAHENGE.
मान बड़ाई देखि कर, भक्ति करै संसार।
जवाब देंहटाएंजब देखैं कछु हीनता, अवगुन धरै गंवार।।
एक कहूँ तो है नहीं, दूजा कहूँ तो गार ।
जवाब देंहटाएंहै जैसा तैसा रहे, रहे कबीर विचार ॥
एक दोहे में सब कुछ तो कह दिया .... अब हम क्या कहें?
आया था किस काम को, तू सोया चादर तान ।
जवाब देंहटाएंसूरत सँभाल ए काफिला, अपना आप पह्चान ॥
कबीर की वाणी हमें झिंझोड़ती है स्वयं को पहचानने के लिए. अच्छी प्रस्तुति.
आए हैं सो जाएँगे, राजा रंक फकीर ....sahi bat par kitno ko yad rahta hai....
जवाब देंहटाएंस्तुत्य है यह कबीर ग्रंथावली .शुक्रिया .
जवाब देंहटाएंस्तुत्य है यह कबीर ग्रंथावली .शुक्रिया .
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