आज मुझसे बोल, बादल
हरिवंशराय बच्चन
आज मुझसे बोल, बादल!
तम-भरा तू, तम-भरा मैं,
ग़म-भरा तू, ग़म भरा मैं,
आज तू, अपने हृदय से हृदय मेरा तोल, बादल!
आज मुझसे बोल, बादल!
आग तुझमें, आग मुझमें,
राग तुझमें, राग मुझमें,
आ मिलें हम आज अपने द्वार उर के खोल, बादल!
आज मुझसे बोल, बादल!
भेद यह मत देख दो पल --
क्षार जल मैं, तू मधुर जल,
व्यर्थ मेरे अश्रु , तेरी बूंद है अनमोल, बादल!
आज मुझसे बोल, बादल!
>><<>><<
बच्चन जी की सुंदर हृदय अभिव्यक्ति ...
जवाब देंहटाएंआभार पढ़वाने के लिये ...
bahut accha laga harivansh rai bachchan ki kavita padhkar .....manoj jee mera blog aapki pratiksha me hai.....
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर, बहुत कोमल गीत
जवाब देंहटाएंलाजवाब
भेद यह मत देख दो पल --
जवाब देंहटाएंक्षार जल मैं, तू मधुर जल,
व्यर्थ मेरे अश्रु , तेरी बूंद है अनमोल, बादल!
आज मुझसे बोल, बादल!
माधुर्य के कवि बच्चन जी को पढ़ना एक आनंद है सदैव .पढ़ते हुए इस गीत को याद आ गईं पंक्तियाँ -मैं नीर भरी दुःख की बदली ....शुक्रिया मनोज जी .
वीरुभाई ,४३,३०९ सिलार वुड ड्राइव ,कैंटन ,मिशिगन ४८ ,१८८ ,यू. एस. ए .
बहुत सुंदर... वाह!
जवाब देंहटाएंअनुपम रचना पढ़वाने के लिए सादर आभार।
पहली बार पढ़ी यह रचना..आभार.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर कविता पढ़वाने के लिए आभार
जवाब देंहटाएंआपके इस खूबसूरत पोस्ट का एक कतरा हमने सहेज लिया है आपातकाल और हम... ब्लॉग बुलेटिन के लिए, पाठक आपकी पोस्टों तक पहुंचें और आप उनकी पोस्टों तक, यही उद्देश्य है हमारा, उम्मीद है आपको निराशा नहीं होगी, टिप्पणी पर क्लिक करें और देखें … धन्यवाद !
जवाब देंहटाएंbehtarin rachna tak pahuchaane ke hardik abahar...sadar badhayee ke sath
जवाब देंहटाएंआभार ||
जवाब देंहटाएंइस उत्कृष्ट पेशकश पर |
एक सुन्दर गीत पढवाने का बहुत बहुत आभार...
जवाब देंहटाएंहरिवंश राय बच्चन जी की कविताओं में मन के भावों की जो प्रांजलता स्वत: ही मुखरित होती है, उसके भाव किसी भी साहित्य प्रेमी को उसमें उलझाने के लिए बाध्य कर देती हैं। उनकी यह कविता काफी अच्छी लगी । धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंबच्चन जी की कवितायें एकदम मन को छा लेती हैं -आभार !
जवाब देंहटाएंइतनी सुन्दर कविता पढवाने के लिए बहुत बहुत आभार
जवाब देंहटाएं