जन्म --- 1398
निधन --- 1518
काया काढ़ा काल घुन, जतन-जतन सो खाय ।
काया बह्रा ईश बस, मर्म न काहूँ पाय ॥ 161 ॥
कहा कियो हम आय कर, कहा करेंगे पाय ।
इनके भये न उतके, चाले मूल गवाय ॥ 162 ॥
कुटिल बचन सबसे बुरा, जासे होत न हार ।
साधु वचन जल रूप है, बरसे अम्रत धार ॥ 163 ॥
कहता तो बहूँना मिले, गहना मिला न कोय ।
सो कहता वह जान दे, जो नहीं गहना कोय ॥ 164 ॥
कबीरा मन पँछी भया, भये ते बाहर जाय ।
जो जैसे संगति करै, सो तैसा फल पाय ॥ 165 ॥
कबीरा लोहा एक है, गढ़ने में है फेर ।
ताहि का बखतर बने, ताहि की शमशेर ॥ 166 ॥
कहे कबीर देय तू, जब तक तेरी देह ।
देह खेह हो जाएगी, कौन कहेगा देह ॥ 167 ॥
करता था सो क्यों किया, अब कर क्यों पछिताय ।
बोया पेड़ बबूल का, आम कहाँ से खाय ॥ 168 ॥
कस्तूरी कुन्डल बसे, म्रग ढ़ूंढ़े बन माहिं ।
ऐसे घट-घट राम है, दुनिया देखे नाहिं ॥ 169 ॥
कबीरा सोता क्या करे, जागो जपो मुरार ।
एक दिना है सोवना, लांबे पाँव पसार ॥ 170 ॥
क्रमश:
बात बात में दे गये, परम सत्य का ज्ञान।
जवाब देंहटाएंकबिरा अद्भुत ग्रंथ हैं, कबिरा हीरक खान॥
सादर आभार।
कस्तूरी कुन्डल बसे, म्रग ढ़ूंढ़े बन माहिं ।
जवाब देंहटाएंऐसे घट-घट राम है, दुनिया देखे नाहिं ॥
वाह ...ज्ञान की गंगा ...
आभार ..संगीता दी ..
कबीरा सोता क्या करे, जागो जपो मुरार ।
जवाब देंहटाएंएक दिना है सोवना, लांबे पाँव पसार ॥ 170 ॥
एक शाश्वत सत्य को सामने रख दिया कबीर ने .बढ़िया प्रस्तुति सार्वकालिक .
कुटिल बचन सबसे बुरा, जासे होत न हार ।
जवाब देंहटाएंसाधु वचन जल रूप है, बरसे अम्रत धार ॥
वाह वाह वाह ..
कबीरा सोता क्या करे, जागो जपो मुरार ।
जवाब देंहटाएंएक दिना है सोवना, लांबे पाँव पसार ॥ 170 ॥
एक कटु सत्य...मगर बहुत जरूरी जागने के लिये..आभार!
gyanwardhak prastuti.
जवाब देंहटाएंअद्भुत दोहे।
जवाब देंहटाएंकबीर सर्वकालिक प्रेरणा के स्रोत हैं।
जवाब देंहटाएं.अमूल्य धरोहर साझा करने के लिए आभार
जवाब देंहटाएंअद्भुत दोहे....साझा करने के लिए आभार
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