जन्म --- 1398
निधन --- 1518
कांचे भाडें से रहे, ज्यों कुम्हार का देह ।
भीतर से रक्षा करे, बाहर चोई देह ॥ 131 ॥
साँई ते सब होते है, बन्दे से कुछ नाहिं ।
राई से पर्वत करे, पर्वत राई माहिं ॥ 132 ॥
केतन दिन ऐसे गए, अन रुचे का नेह ।
अवसर बोवे उपजे नहीं, जो नहीं बरसे मेह ॥ 133 ॥
एक ते अनन्त अन्त एक हो जाय ।
एक से परचे भया, एक मोह समाय ॥ 134 ॥
साधु सती और सूरमा, इनकी बात अगाध ।
आशा छोड़े देह की, तन की अनथक साध ॥ 135 ॥
हरि संगत शीतल भया, मिटी मोह की ताप ।
निशिवासर सुख निधि, लहा अन्न प्रगटा आप ॥ 136 ॥
आशा का ईंधन करो, मनशा करो बभूत ।
जोगी फेरी यों फिरो, तब वन आवे सूत ॥ 137 ॥
आग जो लगी समुद्र में, धुआँ ना प्रकट होय ।
सो जाने जो जरमुआ, जाकी लाई होय ॥ 138 ॥
अटकी भाल शरीर में, तीर रहा है टूट ।
चुम्बक बिना निकले नहीं, कोटि पठन को फूट ॥ 139 ॥
अपने-अपने साख की, सब ही लीनी भान ।
हरि की बात दुरन्तरा, पूरी ना कहूँ जान ॥ 140 ॥
दोहवाली --- भाग –1 / भाग – 2 /भाग – 3 /भाग – 4 / भाग 5 //भाग - --6 और --- 7/भाग – 8/ भाग -- 9 /भाग - 10 /भाग --11 / भाग 12
Kya kamaal ke dohe hua karte hain Kabeer ke!
जवाब देंहटाएंआग जो लगी समुद्र में, धुआँ ना प्रकट होय ।
जवाब देंहटाएंसो जाने जो जरमुआ, जाकी लाई होय
सही बात ..
वाह!
जवाब देंहटाएंसादर आभार।
badhiya dohe. prastuti ke liye abhaar
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत दोहे
जवाब देंहटाएंसाँई ते सब होते है, बन्दे से कुछ नाहिं ।
जवाब देंहटाएंराई से पर्वत करे, पर्वत राई माहिं ॥ 132 ॥
bahut saarthak prayas...
abhaar sangeeta di.
कबीर के हर दोहे कुछ न कुछ सीख देते हैं । हमारी सबसे बड़ी कमजोरी यह है कि हम उनके दोहों को केवल पढ़ते हैं लेकिन जीवन में उन पर अमल नही करते हैं । आप इस पोस्ट की निरंतरता को बनाएं रखें । धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंइनमें से कई ऐसे दोहे हैं जिन्हें पहले कभी सुना नहीं था। प्रेम सागर सिंह की बातों से सहमति है कि आप इस पोस्ट की निरंतरता को बनाएं रखें ।
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