साहित्यकार
आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी
आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी का जन्म १८६४ में ज़िला रायबरेली (उत्तर प्रदेश) के दौलतपुर ग्राम में हुआ था। गाँव की पाठशाला में प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने के बाद, ये अंग्रेजी पढने के लिए रायबरेली के सरकारी स्कूल में भर्ती हुए। बाद में रणजीत पुरवा (जिला उन्नाव ) ,फतेहपुर तथा उन्नाव के स्कूल में भर्ती हुए। लेकिन आर्थिक अवस्था ठीक न होनेके कारण उन्हें अपनी शिक्षा को बीच में ही रोक देना पड़ी। स्कूल की शिक्षा समाप्त कर इन्होंने रेल-विभाग में नौकरी कर ली। उस समय भी इनका स्वाध्याय बराबर चलता रहा। इन्होंने हिन्दी, उर्दू, अंगरेज़ी, बंगला, गुजराती तथा मराठी का अच्छा ज्ञान प्राप्त कर लिया।
कुछ समय बाद रेलवे की नौकरी छोड़कर सन् १९०३ ई. में द्विवेदी जी ने ‘सरस्वती’ नामक मासिक पत्रिका का संपादन शुरु किया। सत्रह वर्ष के सम्पादन काल में इन्होंने हिन्दी को नई गति तथा नई शक्ति दी। अनेक कवियों तथा लेखकों को इनसे प्रोत्साहन मिला। वास्तव में द्विवेदी जी व्यक्ति न होकर एक संस्था थे। समकालीन लेखकों एवं कवियों को सही मार्गदर्शन प्रदान करके हिन्दी भाषा एवं साहित्य को समृद्ध एवं जीवन्त बनाकर इन्होंने स्तुत्य कार्य किया।
सन् १९३८ में इनकी मृत्यु हो गई।
द्विवेदी जी मुख्यतः निबंधकार और समालोचक थे। इन्होंने साहित्यिक, ऐतिहासिक, भौगोलिक, वैज्ञानिक आदि अनेक विषयों पर निबंध लिखे। वे कठिन-से-कठिन विषय को भी सरल बना देते थे। संस्कृत के तत्सम शब्दों के साथ अरबी और फ़ारसी के प्रचलित शब्दों का प्रयोग भी इन्होंने बिनी किसी संकोच के किया। मुहावरों के प्रयोग की ओर भी इनकी रुचि थी।
द्विवेदी जी हिन्दी-साहित्य के इतिहास में युगप्रवर्तक के रूप में विख्यात हैं। इन्होंने गद्य की भाषा का परिष्कार किया और लेखकों की सुविधा के लिए व्याकरण और वर्तनी के नियम स्थिर किए। कविता में उस समय प्रायः ब्रज-भाषा का ही प्रयोग होता था। इन्होंने गद्य की भांति कविता में भी खड़ी बोली का प्रयोग किया। और, अन्य कवियों को खड़ी बोली में ही कविता करने की प्रेरणा दी। इन्हीं साहित्यिक सेवाओं के फलस्वरूप विद्वानों ने उन्हें ‘आचार्य’ पद से सम्मानित किया।
गद्य :: तरुणोंपदेश, हिन्दी कालिदास की समालोचना, वैज्ञानिक कोष, नाट्यशास्त्र, हिन्दी भाषा की उत्पत्ति, वनिता विलाप, साहित्य संदर्भ, अतीत -स्मृति, साहित्यालाप. ‘रसज्ञ रंजन’, ‘साहित्य-सीकर’, ‘साहित्य-संदर्भ’, ‘अद्भुत आलाप’, ‘संचयन’ इनके प्रसिद्ध निबंध-संग्रह हैं।
काव्य :: काव्य -मञ्जूषा, सुमन, कविता कलाप, ‘द्विवेदी-काव्यमाला’ में कविताएं संगृहित हैं।