शनिवार, 7 अगस्त 2010

प्रदूषण



जीवन के आधार वृक्ष हैं ,
जीवन के ये अमृत हैं
फिर भी मानव ने देखो,
इसमें विष बोया है.
स्वार्थ मनुष्य का हर पल
उसके आगे आया है
अपने हाथों ही उसने
अपना गला दबाया है
काट काट कर वृक्षों को
उसने अपना लाभ कमाया है
पर अपनी ही संतानों के
सुख को स्वयं खाया है
देखो आज  जिधर भी 
फ़ैल रहा है प्रदुषण
वृक्षों के अंधाधुंध कटाव से
दुःख उपजा है भीषण 
क्यों नहीं समय रहते
इन्सान जागा है
सच्चाई के डर से
आज मानव भागा है.
बिना वृक्षों के क्या
मानव जीवन संभव होगा
इस प्रदुषण में क्या
सांसों का लेना संभव होगा
आज अग्रसित हो रहा
मानव विनाश की ओर
इस धरती पर क्या मानव का
जीवित रहना संभव होगा?
कुछ करना है गर
काम तो ये कर डालो
पौधों  को रोपो और
वृक्षों को दुलारों
आज समय रहते यदि
तुम चेत जओगे
तो आगे आने वाली नस्लों  को
तुम कुछ दे पाओगे

हे मनुज!

अंत में प्रार्थना है मेरी तुमसे
वृक्षों को तुम निज संताने जानो
वृक्ष तुम्हारी सम्पत्ति,
तुम्हारी धरोहर हैं
इस सच को अब तो पहचानो



संगीता स्वरुप

22 टिप्‍पणियां:

  1. जी यही नारा हो अब -
    वृक्षों को तुम निज संताने जानो
    इस सच को अब तो पहचानो

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  2. आभार, इस प्रस्तुति के लिए।
    इस कविता के द्वारा पर्यावरण के प्रति चिंता को आपने आगे बढाया है। सच है हम इसे नष्ट कर अपने ही हाथों अपना ही गला दबा रहे हैं।

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  3. पर्यावरण बचाने की पेरणा देता हुआ यह गीत बहुत अच्छा लगा!

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  4. मनुष्य जीवन के लिए वृक्षों की कितनी अहमियत है... यही इस सुंदर कविता द्वारा आपने जताया है!!...धन्यवाद!

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  5. बहुत ही सार्थक सन्देश प्रसारित करती है आपकी रचना ! वन्य संरक्षण के लिये प्रेरित करती और प्रदूषण के खतरों से आगाह करती एक सोद्देश्य सारगर्भित रचना ! बधाई स्वीकार करें !

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  6. बहुत ही सार्थक सन्देश देती हुई रचना...

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  7. सचमुच पेड़ है सांसे
    पेड़ है जीवन
    आपने एक नेक काम किया है
    पर्यावरण के प्रति आपकी चिन्ता से मैं सौ फीसदी सहमत हूं

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  8. एक सार्थक संदेश देती प्रेरक कविता……………उम्दा प्रस्तुति।

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  9. पर्यावरण के प्रति सार्थक सन्देश देती हुई आपकी रचना प्रेरक है.

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  10. सुंदर सार्थक सन्देश देती आप की रचना प्रेरणा स्त्रोत का काम कर रही है.

    आभार

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  11. प्रेरक कविता। पर्यावरण बचाने की पेरणा देती हुयी।

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  12. बहुत ही सार्थक सन्देश देती हुई रचना।

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  13. बहुत सुंदर प्रस्तुति। पर्यावरण के प्रति चिंता प्रदर्शित होती है।

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  14. सार्थक सन्देश देती हुई रचना।

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  15. वृक्षों की कितनी अहमियत है... इस सुंदर कविता द्वारा आपने जताया है!!

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  16. पर्यावरण को बचाने की मुहीम में एक और सुंदर विचार लिए कविता |बधाई
    आशा

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  17. वृक्षों को तुम निज संताने जानो
    वृक्ष तुम्हारी सम्पत्ति,
    तुम्हारी धरोहर हैं
    इस सच को अब तो पहचानो
    bahut sahi kaha, sahi pukaar

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  18. वृक्षों को तुम निज संताने जानो
    वृक्ष तुम्हारी सम्पत्ति,
    तुम्हारी धरोहर हैं
    इस सच को अब तो पहचानो

    बहुत ही सार्थक सन्देश..!!

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  19. सचमुच वृक्षों के बिना धरती कि कल्पना कठिन है. हम सब को इनके संरक्षण का संकल्प लेना ही होगा. सार्थक सन्देश देती कविता के लिए बधाई.

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  20. सभी पाठकों का आभार ....आपकी प्रतिक्रिया बहुत प्रेरणा देती है ...

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