जन्म --- 1398
निधन --- 1518
ते दिन गये अकारथी, संगत भई न संत ।
प्रेम बिना पशु जीवना, भक्ति बिना भगवंत ॥ 201 ॥
प्रेम बिना पशु जीवना, भक्ति बिना भगवंत ॥ 201 ॥
तीर तुपक से जो लड़े, सो तो शूर न होय ।
माया तजि भक्ति करे, सूर कहावै सोय ॥ 202 ॥
माया तजि भक्ति करे, सूर कहावै सोय ॥ 202 ॥
तन को जोगी सब करे, मन को बिरला कोय ।
सहजै सब विधि पाइये, जो मन जोगी होय ॥ 203 ॥
सहजै सब विधि पाइये, जो मन जोगी होय ॥ 203 ॥
तब लग तारा जगमगे, जब लग उगे नसूर ।
तब लग जीव जग कर्मवश, जब लग ज्ञान ना पूर ॥ 204 ॥
तब लग जीव जग कर्मवश, जब लग ज्ञान ना पूर ॥ 204 ॥
दुर्लभ मानुष जनम है, देह न बारम्बार ।
तरुवर ज्यों पत्ती झड़े, बहुरि न लागे डार ॥ 205 ॥
तरुवर ज्यों पत्ती झड़े, बहुरि न लागे डार ॥ 205 ॥
दस द्वारे का पींजरा, तामें पंछी मौन ।
रहे को अचरज भयौ, गये अचम्भा कौन ॥ 206 ॥
रहे को अचरज भयौ, गये अचम्भा कौन ॥ 206 ॥
धीरे-धीरे रे मना, धीरे सब कुछ होय ।
माली सीचें सौ घड़ा, ॠतु आए फल होय ॥ 207 ॥
माली सीचें सौ घड़ा, ॠतु आए फल होय ॥ 207 ॥
न्हाये धोये क्या हुआ, जो मन मैल न जाय ।
मीन सदा जल में रहै, धोये बास न जाय ॥ 208 ॥
मीन सदा जल में रहै, धोये बास न जाय ॥ 208 ॥
पाँच पहर धन्धे गया, तीन पहर गया सोय ।
एक पहर भी नाम बीन, मुक्ति कैसे होय ॥ 209 ॥
एक पहर भी नाम बीन, मुक्ति कैसे होय ॥ 209 ॥
पोथी पढ़-पढ़ जग मुआ, पंडित भया न कोय ।
ढ़ाई आखर प्रेम का, पढ़ै सो पंड़ित होय ॥ 210 ॥
ढ़ाई आखर प्रेम का, पढ़ै सो पंड़ित होय ॥ 210 ॥
कबीर जी के दोहे प्रस्तुत कर आप एक नेक कार्य कर रहे हैं .....प्रस्तुत हर दोहे में जीवन का सार छुपा है ...!
जवाब देंहटाएंन्हाये धोये क्या हुआ, जो मन मैल न जाय ।
जवाब देंहटाएंमीन सदा जल में रहै, धोये बास न जाय ॥ sahi kitni satik bat.tere bin pr aapka intjaar hai...
खुबसूरत प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंबधाई ।।
बढ़िया संकलन... बहुत खूब...
जवाब देंहटाएंसुंदर संकलन .....
जवाब देंहटाएंसाभार !!
ते दिन गये अकारथी, संगत भई न संत ।
जवाब देंहटाएंप्रेम बिना पशु जीवना, भक्ति बिना भगवंत ॥ 201
सचमुच सत्संग के बिना जीवन अधूरा है...
inhen to bas roz hee padhte rahna chahiye!
जवाब देंहटाएंपोथी पढ़-पढ़ जग मुआ, पंडित भया न कोय ।
जवाब देंहटाएंढ़ाई आखर प्रेम का, पढ़ै सो पंड़ित होय ॥
कबीर की बाणी अचूक है,शाश्वत है,सत्य है,गंभीर है...
इस प्रस्तुति के लिए आभार!!
खरगोश का संगीत राग रागेश्री पर आधारित है जो कि खमाज थाट का सांध्यकालीन राग है, स्वरों में कोमल निशाद
जवाब देंहटाएंऔर बाकी स्वर शुद्ध लगते हैं, पंचम इसमें वर्जित
है, पर हमने इसमें अंत में पंचम का प्रयोग भी
किया है, जिससे इसमें राग
बागेश्री भी झलकता है...
हमारी फिल्म का संगीत वेद नायेर ने दिया है.
.. वेद जी को अपने संगीत कि
प्रेरणा जंगल में चिड़ियों कि चहचाहट से मिलती
है...
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