जन्म --- 1398
निधन --- 1518
जहाँ दया तहाँ धर्म है, जहाँ लोभ तहाँ पाप ।
जहाँ क्रोध तहाँ पाप है, जहाँ क्षमा तहाँ आप ॥ 11 ॥
जहाँ क्रोध तहाँ पाप है, जहाँ क्षमा तहाँ आप ॥ 11 ॥
धीरे-धीरे रे मना, धीरे सब कुछ होय ।
माली सींचे सौ घड़ा, ॠतु आए फल होय ॥ 12 ॥
माली सींचे सौ घड़ा, ॠतु आए फल होय ॥ 12 ॥
कबीरा ते नर अन्ध है, गुरु को कहते और ।
हरि रूठे गुरु ठौर है, गुरु रुठै नहीं ठौर ॥ 13 ॥
हरि रूठे गुरु ठौर है, गुरु रुठै नहीं ठौर ॥ 13 ॥
पाँच पहर धन्धे गया, तीन पहर गया सोय ।
एक पहर हरि नाम बिन, मुक्ति कैसे होय ॥ 14 ॥
एक पहर हरि नाम बिन, मुक्ति कैसे होय ॥ 14 ॥
कबीरा सोया क्या करे, उठि न भजे भगवान ।
जम जब घर ले जायेंगे, पड़ी रहेगी म्यान ॥ 15 ॥
जम जब घर ले जायेंगे, पड़ी रहेगी म्यान ॥ 15 ॥
शीलवन्त सबसे बड़ा, सब रतनन की खान ।
तीन लोक की सम्पदा, रही शील में आन ॥ 16 ॥
तीन लोक की सम्पदा, रही शील में आन ॥ 16 ॥
माया मरी न मन मरा, मर-मर गए शरीर ।
आशा तृष्णा न मरी, कह गए दास कबीर ॥ 17 ॥
आशा तृष्णा न मरी, कह गए दास कबीर ॥ 17 ॥
माटी कहे कुम्हार से, तु क्या रौंदे मोय ।
एक दिन ऐसा आएगा, मैं रौंदूंगी तोय ॥ 18 ॥
एक दिन ऐसा आएगा, मैं रौंदूंगी तोय ॥ 18 ॥
रात गंवाई सोय के, दिवस गंवाया खाय ।
हीना जन्म अनमोल था, कौड़ी बदले जाय ॥ 19 ॥
हीना जन्म अनमोल था, कौड़ी बदले जाय ॥ 19 ॥
नींद निशानी मौत की, उठ कबीरा जाग ।
और रसायन छांड़ि के, नाम रसायन लाग ॥ 20 ॥
और रसायन छांड़ि के, नाम रसायन लाग ॥ 20 ॥
दोहवाली --- भाग --1
कबीर के दोहों को प्रकाशित करने पर साधुवाद!
जवाब देंहटाएंलोकाचार, शास्त्रविधि और अभ्यास के रुद्ध द्वार पर उन्होंने भारत को जगाने का प्रयास किया!
वो एक फक्कड़ संत ही नहीं अपितु एक महान सामाजिक चेतना के क्रंतिकारी भी थे!
उनकी स्मृति को नमन और आपको इस शुभ कार्य हेतु एक बार फिर से शुभकामनाएं!!
ज्ञानवर्धक ....
जवाब देंहटाएंआभार इस दोहावली के लिए संगीता जी ...!!
माननीय महोदया
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
कबीर के दोहों को प्रकाशित करने पर साधुवाद!
लोकाचार, शास्त्रविधि और अभ्यास के रुद्ध द्वार पर उन्होंने भारत को जगाने का प्रयास किया!
वो एक फक्कड़ संत ही नहीं अपितु एक महान सामाजिक चेतना के क्रंतिकारी भी थे!
उनकी स्मृति को नमन और आपको इस शुभ कार्य हेतु एक बार फिर से शुभकामनाएं!!
आपके ब्लॉग पर टिप्पणी के साथ समय गलत क्यूँ आ रहा है? इस वक्त तो सुबह के ७:०८ बजे हैं!!!
जवाब देंहटाएंमाननीय महोदया
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
कबीर के दोहों को प्रकाशित करने पर साधुवाद!
लोकाचार, शास्त्रविधि और अभ्यास के रुद्ध द्वार पर उन्होंने भारत को जगाने का प्रयास किया!
वो एक फक्कड़ संत ही नहीं अपितु एक महान सामाजिक चेतना के क्रंतिकारी भी थे!
उनकी स्मृति को नमन और आपको इस शुभ कार्य हेतु एक बार फिर से शुभकामनाएं!!
Kya gazab likhte the Kabeer!
जवाब देंहटाएंजीवन को यथार्थ से रूबरू कराता पोस्ट
हटाएंकितने सुन्दर दोहे.... कबीर जी को नमन...
जवाब देंहटाएंसादर आभार..
धीरे-धीरे रे मना, धीरे सब कुछ होय ।
जवाब देंहटाएंमाली सींचे सौ घड़ा, ॠतु आए फल होय ॥ 12 ॥
कितना व्यावहारिक ...
आनद आ जाता है.
कबीर के दोहों को प्रकाशित करने हेतु आभार...
जवाब देंहटाएंकबीर जी की दोहावलि पढ आनन्द मिलता है ………आभार
जवाब देंहटाएंशीलवन्त सबसे बड़ा, सब रतनन की खान ।
जवाब देंहटाएंतीन लोक की सम्पदा, रही शील में आन ॥
धीरे-धीरे रे मना, धीरे सब कुछ होय ।
माली सींचे सौ घड़ा, ॠतु आए फल होय ॥
इन अनमोल रत्नों के लिए आपका शुक्रिया -
कबीरा तेरी झोंपड़ी गल कटियन के पास ,
करेंगे सो भरेंगे ,तू क्यों भयो उदास .
कबीरा खडा सराय में चाहे सबकी खैर ,
न काहू से दोस्ती ,न काहू से बैर .
ये उपदेश नहीं,जीवन की अनुभूतियां हैं। समझते सब हैं,पर अंतिम दिनों में। कोई कबीर ही ज्यों की त्यों चादर धरने का साहस जुटा पाता है।
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