हरिवंशराय बच्चन
11. यह पपीहे की रटन है
यह पपीहे की रटन है !
बादलों की घिर घटाएं
भूमि की लेती बलाएं ,
खोल दिल देती दुआएं – देख किस उर में जलन है?
यह पपीहे की रटन है !
जो बहा दे, नीर आया,
आग का फिर तीर आया,
वज्र भी बेपीर आया – कब रुका इसका वचन है?
यह पपीहे की रटन है !
यह न पानी से बुझेगी,
यह न पत्थर से दबेगी,
यह न शोलों से डरेगी, यह वियोगी की लगन है!
यह पपीहे की रटन है !
***
बहुत ही बेहतरीन और प्रशंसनीय प्रस्तुति....
जवाब देंहटाएंइंडिया दर्पण की ओर से शुभकामनाएँ।
बहुत ही बेहतरीन और प्रशंसनीय प्रस्तुति....
जवाब देंहटाएंइंडिया दर्पण की ओर से शुभकामनाएँ।
मन प्रसन्न हो गया पढकर.
जवाब देंहटाएंbahut hi sundar rachna ki prastuti
जवाब देंहटाएंpapiha ke bare me jane is blog par
www.bebkoof.blogspot.com
यह न पानी से बुझेगी,
जवाब देंहटाएंयह न पत्थर से दबेगी,
यह न शोलों से डरेगी, यह वियोगी की लगन है!
यह पपीहे की रटन है !
***bahut achcha lga padhkr......
बहुत खूबसूरत....
जवाब देंहटाएंबच्चन साहब का कोई जवाब नहीं...
सांझा करने का शुक्रिया मनोज जी.
सादर.
खूबसूरत रचना पढ़वाने के लिए आभार ...
जवाब देंहटाएंbachchan ji ki is sudar rachna se milvale hetu hardik dhanyvad .
जवाब देंहटाएंaabhar ye hai mission london olympic-support this ...like this page
इस रचना को यहाँ पढ़वाने के लिए आभार ...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर और सटीक अभिव्यक्ति!
जवाब देंहटाएंबच्चन तो आखिर बच्चन ही हैं -यह पपीहे की रटन है !
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर गीत!!
जवाब देंहटाएंbahut hi sundar prastuti....abhaar
जवाब देंहटाएंवाह! वाह!
जवाब देंहटाएंसादर आभार.
यह न पानी से बुझेगी,
जवाब देंहटाएंयह न पत्थर से दबेगी,
यह न शोलों से डरेगी, यह वियोगी की लगन है!
यह पपीहे की रटन है !
दर्द नशा है इस मदिरा का, विगत स्मृतियाँ साकी हैं
पीड़ा में आनंद जिसे हो ,आये मेरी मधुशाला .
वही सर्व व्यापी पीड़ा की अभियक्ति यहाँ भी है .
बहुत सुन्दर शब्दों का संसार!...सुन्दर प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंबहुत ही बेहतरीन और प्रशंसनीय प्रस्तुति....
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