प्रेरक प्रसंग-28
फ़िजूलख़र्ची
मनोज कुमार
छोटी-छोटी बातों पर ध्यान देना गांधी जी की अद्वितीय विशेषता थी। चाहे वह कहीं भी हों, किसी भी परिस्थिति में हों, सत्य का प्रयोग तो वे हमेशा करते ही रहते थे। बात गोलमेज सम्मेलन के समय की है। गांधी जी प्रतिदिन भोजन के समय थोड़ा सा शहद लेते थे। एक दिन भारतीय दल को एक जगह भोजन के लिए निमंत्रण पर जाना पड़ा।
उस दिन गांधी जी का जहां भोजन था, वहां मीरा बहन हमेशा की तरह शहद की बोतल साथ ले जाना भूल गईं। खाने का समय हो चुका था। मीरा बहन को शहद की याद आई। बोतल तो निवास स्थल पर ही छूट गई थी। अब क्या किया जाए? उन्होंने फौरन किसी को पास की दूकान से शहद की बोतल खरीद कर मंगवा ली।
गांधी जी जब खाने बैठे, तो उन्हें शहद परोसा गया। उनका ध्यान नई बोतल पर गया। उन्होंने पूछा, “बोतल नई दिखती है। शहद की वह बोतल नहीं दिखाई दे रही।”
मीरा बहन ने डरते-डरते कहा, “हां, बापू! वह बोतल निवास स्थल पर ही छूट गई। उसलिए यह जल्दी से मंगवा ली।”
बापू गंभीर हो गए। बोले, “एक दिन शहद नहीं मिला होता, तो मैं भूखा थोड़े ही रह जाता। नई बोतल क्यों मंगवाई? हम जनता के पैसे पर जीते हैं। जनता के पैसे की फ़िजूलख़र्ची नहीं होनी चाहिए।”
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सचमुच प्रेरक !!
जवाब देंहटाएंअपने सिद्धांतों के साथ समझौता न करने वाले गांधी जी अपने आरंभिक जीवन से ही देश, सभ्यता, संस्कृति एवं लोगों से जुड़े रहे । उन्होंने अपने जीवन में कभी भी कुत्सित एवं संकीर्ण भावनाओं को प्रश्रय नही दिया । जनमानस की भावनाओं का सदा आदर किया । "सर्वे भवन्तु सुखिन:, सर्वे संतु निरामया:" एवं "परहित सरिस धरम नही भाई" के भावों से सर्वदा प्रभावित रहे । इसलिए वे जनता के पैसे को फिजूल में खर्च करने के पक्षधर नही थे । इस प्रसंग से बहुत कुछ सीखने को मिला । धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति । आभार।।
जवाब देंहटाएंprerak prastuti ....
जवाब देंहटाएंसार्थक और सामयिक पोस्ट, आभार.
हटाएंgandhiji par aap anupan kaam kar rahe hain... bahut badhiya... prerna mil rahi hai...
जवाब देंहटाएंआज कहाँ ऐसे महान लोग …………प्रेरक प्रसंग
जवाब देंहटाएंBaapu to na bhooto na bhavishyati!
जवाब देंहटाएंbahut badhiya....
जवाब देंहटाएंबहुत ही बेहतरीन और प्रशंसनीय प्रस्तुति....
जवाब देंहटाएंइंडिया दर्पण की ओर से शुभकामनाएँ।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंआपके इस सुन्दर प्रविष्टि की चर्चा कल दिनांक 19-03-2012 को सोमवारीय चर्चामंच पर भी होगी। सूचनार्थ
sunder prastuti
जवाब देंहटाएंयह बात आज के नेताओं के सामने आनी चाहिए ... किस तरह पैसा बहाया जाता है इन लोगों के द्वारा .... प्रेरक प्रसंग
जवाब देंहटाएंअच्छी बात है
जवाब देंहटाएंये प्रेरक प्रसंग सबके लिए अनुकरणीय है .
जवाब देंहटाएंबूँद बूँद सो भरे सरोवर .
जवाब देंहटाएंप्रेरक प्रस्तुति ....
जवाब देंहटाएंप्रेरणात्मक प्रस्तुति ...
जवाब देंहटाएंकाश....!!!
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रेरक प्रस्तुति हेतु सादर आभार...
ज्ञानवर्धक पोस्ट बहुत २ शुक्रिया |
जवाब देंहटाएंराष्ट्र पिता जैसा नेता तो अब ख्वाबों की बातें हैं।
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