रविवार, 25 मार्च 2012

प्रेरक प्रसंग-29 : एक बाल्टी पानी

प्रेरक प्रसंग-29

एक बाल्टी पानी

प्रस्तुत कर्ता: मनोज कुमार

Gandhi (8)गांधी जी के विचारों में पर्यावरण की चिंता उनकी प्राथमिकता थी। उनका सारा जीवन और उनके सारे काम पर्यावरण के संरक्षण का उदाहरण है। गांधी जी की पर्यावरण-चिंता के मूल में गांव थे। वे गावों की आत्मनिर्भरता की पैरवी आजीवन करते रहे। वह मानते थे कि शहरों की स्फीत धमनियों में बहता हुआ रक्त दरअसल गांव की संकुचित होती धमनियों से बेरहमी से निचोड़ा गया रक्त है। विश्व के समृद्ध समाज की भूख पल-पल विकराल होती जा रही है। उस पर नियंत्रण बहुत ज़रूरी है। बिना इसके पर्यावरण की रक्षा की बात बेमानी है। आज सारा संसार पर्यावरण के प्रति संवेदनशील नज़र आता है, और इस कारण एक बार फिर से गांधी जी के विचार काफ़ी प्रासंगिक हो गए हैं।

इस विषय पर उनसे जुड़े एक प्रसंग का उल्लेख करना चाहूंगा। एक बार इलाहाबाद के “आनन्द भवन” में गांधी जी नेहरू परिवार के अतिथि थे। उन्होंने स्नान के लिए जवाहरलाल नेहरू जी से पानी भेजने के लिए कहा। तुरन्त स्नानघर में दो बाल्टी पानी रख दिया गया। गांधी जी ने एक बाल्टी पानी लौटा दिया।

यह देख जवाहहरलाल नेहरू जी ने कहा, “बापू, यह गंगा-यमुना की नगरी है। यहां पानी की कमी नहीं है।”

गांधी जी ने इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा, “ज़रूरत से ज़्यादा किसी चीज़ का उपयोग कर हम किसी ज़रूरतमंद को उसके प्राप्य से वंचित कर देते हैं। ऐसे काम मेरे अनुसार हिंसा की श्रेणी में आते हैं।”

बापू का मानना था कि “यदि हमें इस पृथ्वी को बचाकर रखना है तो प्राकृतिक संसाधनो का अनुशासित तरीके से इस्तेमाल होना चाहिए।”

13 टिप्‍पणियां:

  1. बापू जी की सारी जिन्दगी ही हमें प्रेरणा देती है।बहुत अच्छी प्रास्तुति।

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  2. बापू का मानना था कि “यदि हमें इस पृथ्वी को बचाकर रखना है तो प्राकृतिक संसाधनो का अनुशासित तरीके से इस्तेमाल होना चाहिए।”

    अनुकरणीय । धन्यवाद ।

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  3. आज भी उतने ही प्रासंगिक जितने की तब थे

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  4. आभार भाई जी ||

    नित-प्रति होने वाले सेमीनार

    की सुबह तक इतनी लाईट जलती रहती है

    हमारे कालेज में जिससे चार गाँव रोशन हो सकते हैं ।

    स्टेडियम की लाईट का भी यही हाल है ।।

    ISM, DHANBAD JHARKHAND

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  5. प्रेरक प्रसंग .... सभी को इस बात से शिक्षा लेनी चाहिए

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  6. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...
    आपके इस सुन्दर प्रविष्टि की चर्चा कल दिनांक 26-03-2012 को सोमवारीय चर्चामंच पर भी होगी। सूचनार्थ

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  7. भविष्य की स्पष्ट रूपरेखा रखने वाला ही युगद्रष्टा होता है।

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  8. मन , कर्म और वचन सभी से महान थे बापू, ऐसे प्रेरक प्रसंगों को ग्रहण हम नहीं कर रहे हें तो फिर एक दिन इसकी कीमत चुकाने के लिए तैयार रहें.

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  9. प्रेरक जीवन जी गए, अक्षय दे कर ज्ञान
    राहों पर उनकी चलें, जीवन हो आसान


    सादर।

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  10. बहुत ही अच्‍छी प्रस्‍तुति।

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  11. Happiness is when what you think, what you say, and what you do are in harmony.
    Mahatma Gandhi......

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