जन्म --- 1398
निधन --- 1518
काया काठी काल घुन, जतन-जतन सो खाय ।
काया वैध ईश बस, मर्म न काहू पाय ॥ 91 ॥
काया वैध ईश बस, मर्म न काहू पाय ॥ 91 ॥
सुख सागर का शील है, कोई न पावे थाह ।
शब्द बिना साधु नही, द्रव्य बिना नहीं शाह ॥ 92 ॥
शब्द बिना साधु नही, द्रव्य बिना नहीं शाह ॥ 92 ॥
बाहर क्या दिखलाए, अनन्तर जपिए राम ।
कहा काज संसार से, तुझे धनी से काम ॥ 93 ॥
कहा काज संसार से, तुझे धनी से काम ॥ 93 ॥
फल कारण सेवा करे, करे न मन से काम ।
कहे कबीर सेवक नहीं, चहै चौगुना दाम ॥ 94 ॥
कहे कबीर सेवक नहीं, चहै चौगुना दाम ॥ 94 ॥
तेरा साँई तुझमें, ज्यों पहुपन में बास ।
कस्तूरी का हिरन ज्यों, फिर-फिर ढ़ूँढ़त घास ॥ 95 ॥
कस्तूरी का हिरन ज्यों, फिर-फिर ढ़ूँढ़त घास ॥ 95 ॥
कथा-कीर्तन कुल विशे, भवसागर की नाव ।
कहत कबीरा या जगत में नाहि और उपाव ॥ 96 ॥
कहत कबीरा या जगत में नाहि और उपाव ॥ 96 ॥
कबिरा यह तन जात है, सके तो ठौर लगा ।
कै सेवा कर साधु की, कै गोविंद गुन गा ॥ 97 ॥
कै सेवा कर साधु की, कै गोविंद गुन गा ॥ 97 ॥
तन बोहत मन काग है, लक्ष योजन उड़ जाय ।
कबहु के धर्म अगम दयी, कबहुं गगन समाय ॥ 98 ॥
कबहु के धर्म अगम दयी, कबहुं गगन समाय ॥ 98 ॥
जहँ गाहक ता हूँ नहीं, जहाँ मैं गाहक नाँय ।
मूरख यह भरमत फिरे, पकड़ शब्द की छाँय ॥ 99 ॥
मूरख यह भरमत फिरे, पकड़ शब्द की छाँय ॥ 99 ॥
कहता तो बहुत मिला, गहता मिला न कोय ।
सो कहता वह जान दे, जो नहिं गहता होय ॥ 100 ॥
क्रमश:
तुलसी के सामने कबीर हमें हमेशा एकदम ऊपर लगते है... कथा के जरिए बोलना हमेशा से सहज काम रहा है... ...
जवाब देंहटाएंआभार ||
जवाब देंहटाएंshaandaar prastuti ,aabhaar .
जवाब देंहटाएंसार्थक प्रस्तुति....
जवाब देंहटाएंबाहर क्या दिखलाए, अनन्तर जपिए राम ।
जवाब देंहटाएंकहा काज संसार से, तुझे धनी से काम ॥ 93 ॥
अति उत्तम ………आभार
Bada hee achha lag raha hai in dohon ko padhna!
जवाब देंहटाएंजीवन को सही राह दिखाते दोहे।
जवाब देंहटाएंaabhar is prastuti k liye.
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