रसवती भू के मनुज का श्रेय ,
यह नहीं विज्ञान कटु , आग्नेय ।
श्रेय उसका प्राण में बहती प्रणय की वायु ,
मानवों के हेतु अर्पित मानवों की आयु ।
श्रेय उसका आंसुओं की धार ,
श्रेय उसका भग्न वीणा की अधीर पुकार ।
दिव्य भावों के जगत में जागरण का गान,
मानवों का श्रेय आत्मा का किरण - अभियान ।
यजन अर्पण , आत्म सुख का त्याग ,
श्रेय मानव का तपस्या की दहकती आग ।
बुद्धि - मंथन से विनिगत श्रेय वह नवनीत ,
जो करे नर के हृदय को स्निग्ध , सौम्य , पुनीत ।
श्रेय वह विज्ञान का वरदान ,
हो सुलभ सबको सहज जिसका रुचिर अवदान ।
श्रेय वह नर - बुद्धि का शिवरूप आविष्कार ,
ढो सके जिससे प्रकृति सबके सुखों का भार ।
मनुज के श्रम के अपव्यय की प्रथा रुक जाये ,
सुख - समृद्धि - विधान में नर के प्रकृति झुक जाये ।
श्रेय होगा मनुज का समता - विधायक ज्ञान ,
स्नेह - सिंचित न्याय पर नव विश्व का निर्माण ।
एक नर में अन्य का नि:शंक , दृढ़ विश्वास ,
धर्म दीप्त मनुष्य का उज्ज्वल नया इतिहास -
समर , शोषण , ह्रास की विरुदावली से हीन,
पृष्ठ जिसका एक भी होगा न दग्ध , मलिन ।
मनुज का इतिहास , जो होगा सुधामय कोष ,
छलकता होगा सभी नर का जहां संतोष ।
युद्ध की ज्वर - भीति से हो मुक्त ,
जब कि होगी , सत्य ही , वसुधा सुधा से युक्त ।
श्रेय होगा सुष्ठु - विकसित मनुज का यह काल ,
जब नहीं होगी धरा नर के रुधिर से लाल ।
श्रेय होगा धर्म का आलोक वह निर्बन्ध ,
मनुज जोड़ेगा मनुज से जब उचित संबंध ।
साम्य कि वह रश्मि स्निग्ध , उदार ,
कब खिलेगी , कब खिलेगी विश्व में भगवान ?
कब सुकोमल ज्योति से अभिसिक्त
हो सारस होंगे जली - सूखी रसा के प्राण ?
क्रमश:
सुन्दर प्रस्तुति |
जवाब देंहटाएंबधाई ||
accha kaam kr rehe hai ,dinkar jaise mahan lekhak ki rachna batne ke liye dhanywad
जवाब देंहटाएंhttp://blondmedia.blogspot.in/
बहुत बढिया
जवाब देंहटाएंपढ़ रहे हैं लगातार.. आभार
जवाब देंहटाएंकुरुक्षेत्र का संदेश मनुष्य को मनुष्य से जोड़ना भी है।
जवाब देंहटाएंपढ़कर बहुत अच्छा लगा...आभार!
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति...!!
जवाब देंहटाएंkar baddh hai har insaan aaj bhi ki मनुज जोड़ेगा मनुज से जब उचित संबंध ।
जवाब देंहटाएंसाम्य कि वह रश्मि स्निग्ध , उदार ,
कब खिलेगी , कब खिलेगी विश्व में भगवान ?
prashansneey prayas.
aabhar.
मनुज के श्रम के अपव्यय की प्रथा रुक जाये ,
जवाब देंहटाएंसुख - समृद्धि - विधान में नर के प्रकृति झुक जाये ।
बहुत सारगर्भित सार्कालिक प्रासंगिक रचना .कृपया 'धरा' कर लें धारा छप गया है .
शुक्रिया ...सुधार कर लिया है
हटाएंआपकी प्रस्तुति जीवन में आदर्श भाव की प्रतिस्थापना में निर्णायक भूमिका अदा करेगी । कुरूक्षेत्र का हर शब्द हमें बहुत कुछ सीखा जाता है । धन्यवाद ।
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