प्रेरक प्रसंग-37 : बापू का बड़प्पन
बात उन दिनों की है जब बापू आग़ा ख़ा महल में क़ैद थे। बापू को कारावास में रखने के लिए उस महल को जेल में तबदील कर दिया गया था। एक दिन बापू सोकर उठे। उन्होंने देखा कि वहां काफ़ी चहल-पहल है। उन्होंने बा से पूछा, “आज क्या बात है? कुछ गुपचुप तैयारी चल रही है?”
बा ने कहा, “मुझे तो कुछ भी मालूम नहीं। पर कुछ ज़रूर है, ये लोग किसी काम की योजना ज़रूर बना रहे हैं।”
बापू हंसे और बोले, “तुमको सब पता है!” और बापू ने सलाह दी, “सबको बोल दो अति-उत्साह में कुछ ज़्यादा न हो, सबको समझा दो, एकदम साधारण ढंग से सब काम होना चाहिए।”
उस दिन दो अक्तूबर था, बापू का जन्म दिन।
डॉ. सुशीला नायर, मीरा बहन आदि बापू का जन्म दिन अलग हट के मनाना चाह रहे थे। तभी बापू को किसी ने आकर बताया कि बापू को जन्म दिन की बधाई देने उस ज़िले के कलक्टर भी आ रहे हैं। यह सुन बापू ने जेलर से एक कुर्सी की व्यवस्था करने का निवेदन किया।
डॉ. सुशीला नायर ने पूछा, “कुर्सी किसलिए? इसकी क्या ज़रूरत है?”
बापू का आसन ज़मीन पर ही होता था। बापू ने कहा, “उनके सम्मान में उठकर खड़ा होने में मुझे तकलीफ़ होगी। कुर्सी पर बैठा रहूंगा तो उठने में आसानी होगी।
सहयोगियों ने कहा, “बापू आपको उठने की कोई ज़रूरत नहीं। आप बैठे रहिएगा। कलेक्टर खड़ा रहेगा।”
बापू ने कहा, “नहीं यह शिष्टाचार के ख़िलाफ़ होगा। वह कलेक्टर इस राज्य का प्रतिनिधि है, और इस समय मैं एक मामूली क़ैदी हूं। उसको उचित सम्मान देना मेरा धर्म है।”
कुर्सी मंगा ली गई। जब कलेक्टर आया तो बापू ने उठकर उससे हाथ मिलाया। उसका धन्यवाद ज्ञापन किया।
जिसकी सोच बड़ी हो वही बड़ा होता है.......
जवाब देंहटाएंआभार इस पोस्ट के लिए
सादर
अनु
Very nice post.....
जवाब देंहटाएंAabhar!
अपने इन्ही आदर्शमूलक व्यवहारों एवं शिष्टाचार के कारण बापू आज भी आदर एवं श्रद्धा की दृष्टि से याद किए जाते हैं । आभार ।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर प्रस्तुति...........
जवाब देंहटाएंबापू तो फिर बापू थे शाइस्तगी से वाकिफ ,अदबियात से परिपूर्ण प्रेरक उत्प्रेरक प्रसंग . .... .कृपया यहाँ भी पधारें -
जवाब देंहटाएंरविवार, 27 मई 2012
ईस्वी सन ३३ ,३ अप्रेल को लटकाया गया था ईसा मसीह
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ram ram bhai
को सूली पर
http://veerubhai1947.blogspot.in/
तथा यहाँ भी -
चालीस साल बाद उसे इल्म हुआ वह औरत है
http://kabirakhadabazarmein.blogspot.in/
क्या बात है!!
जवाब देंहटाएंआपकी यह ख़ूबसूरत प्रविष्टि कल दिनांक 28-05-2012 को सोमवारीय चर्चामंच-893 पर लिंक की जा रही है। सादर सूचनार्थ
बड़प्पन केवल वक्तव्य में नहीं व्यवहार में भी दिखना चाहिए!! बापू ने आदर्श आचरण प्रस्तुत किया!!
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