पुस्तक परिचय – 19
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1. व्योमकेश दरवेश, 2. मित्रो मरजानी, 3. धरती धन न अपना, 4. सोने का पिंजर अमेरिका और मैं, 5. अकथ कहानी प्रेम की, 6. संसद से सड़क तक, 7. मुक्तिबोध की कविताएं, 8. जूठन, 9. सूफ़ीमत और सूफ़ी-काव्य, 10. एक कहानी यह भी, 11. आधुनिक भारतीय नाट्य विमर्श, 12. स्मृतियों में रूस13. अन्या से अनन्या 14. सोनामाटी 15. मैला आंचल 16. मछली मरी हुई 17. परीक्षा-गुरू 18. गुडिया भीतर गुड़िया
स्मृतियों में रूस
मनोज कुमार
हमारे कई ऐसे बीते पल होते हैं जो अनुभव के रूप में हमारे वर्तमान में जीवित होते हैं। इनसे हमारा एक संबंध-सा बन जाता है। यह अतीत हमारे आज को मूल्यांकन करने का अवसर प्रदान करता है। इसकी सहायता से संस्मरणकार समय की धुंध में ओझल होती ज़िन्दगी को फिर से रचने का प्रयास करता है। आज हम आपका परिचय कराने जा रहे हैं शिखा वार्षणेय द्वारा रचित पुस्तक “स्मृतियों में रूस” से।
“स्मृतियों में रूस” पुस्तक के ज़रिए शिखा वार्ष्णेय अपने पांच वर्षीय रूस के प्रवास को याद करती हैं। संबंधों की आत्मीयता और स्मृति की परस्परता ही संस्मरण की रचना प्रक्रिया का मूल आधार है। बारहवीं पास कर जब रूस में स्कॉलरशिप के साथ पढ़ाई करने के लिए चयन होता है, तो मन में खुशी के साथ डर भी समा जाता है। एक आम मध्यमवर्गीय परिवार के संशय से भी सामना होता है। लेकिन उन सारी स्थितियों का समना करते हुए लेखिका अंततोगत्वा पहुंच ही जाती हैं रूस।
इस पुस्तक में बारह अध्याय हैं, जिनके शीर्षक भी बड़े रोचक हैं … दोपहर और नई सुबह, चाय दे दे मेरी मां, वो कौन थी, टर्निंग पॉइंट, स्टेशन की बेंच से एम एस यू की बेंच तक, टूटते देश में बनता भविष्य, कुछ मस्ती कुछ तफ़रीह, मॉस्को हर दिल के क़रीब, रूस और समोवार, हिन्द से दूर हिंदी, कोवस्काया रूस का प्राचीनतम नगर, टॉल्सटॉय, गोर्की और यह नन्हा दिमाग और स्वर्ण अक्षर और सुनहरे अनुभव।
इस पुस्तक के ज़रिए शिखा जी ने जीवन के लौकिक अनुभवों को संबंधों के प्रकाश में सहेजा है। संस्मरणकार के समक्ष अतीतता के साथ-साथ एक आत्मीय संबंध भाव तो होता ही है। एक साथ जीने और बीतने से मिला भाव संस्मरण लिखने के लिए आधार भूमि होती है। इस आधारभूमि पर रची इस पुस्तक में एक पांच वर्षीय परास्नातक का कोर्स करते वक़्त जो आश्चर्यजनक अनुभव हुए लेखिका ने उसे इस पुस्तक के द्वारा पेश किया है। कहती हैं, “एक-एक शब्द मैंने अनुभूति की स्याही में अपनी स्मृति की कलम को डुबो-डुबो कर लिखने का प्रयास किया है।”
यह पुस्तक साहित्य की संस्मरण विधा का एक सार्थक उदाहरण है। अपने सोवियत प्रवास के खट्टे कम मीठे अधिक अनुभवों को बहुत ही रोचकता के साथ एक सहज-सरल भाषा में प्रस्तुत करते हुए लेखिका ने उस देश में हो रहे आर्थिक-सामाजिक बदलाव को अपने दृष्टिकोण से प्रस्तुत किया है। यात्रा-वृत्त एवं संस्मरण कुछेक रूप में एक दूसरे से जुड़े हैं। बल्कि यह कह सकते हैं कि संस्मरण का ही विशिष्ट रूप है। इस पुस्तक में शिखा जी अपने यात्रा-संस्मरण से हमें यदा-कदा परिचय कराती रहती हैं।
शिखा जी के संस्मरण के केन्द्र में घटनाओं और मनोभावों से बना हुआ अतीत है, जो पाठक के मन में कौतूहल उत्पन्न करता है। इस पुस्तक में वर्णित गतिशील स्मृतियों के साथ लेखिका के जीवन का उद्घाटन भी साथ-साथ चलता रहता है। हर अध्याय में संवेदनशीलता का होना उनके इस पुस्तक का प्रधान गुण है।
शिखा के अनुभव और रोमांच के साथ-साथ शैलीगत विशेषताओं ने निश्चित ही एक रचनाकार के रूप में इस किताब ने सफलता प्रदान की है। संस्मरण में उस देश-प्रदेश का भौगोलिक विस्तार, प्राकृतिक सौन्दर्य एवं महत्त्वपूर्ण घटनाएं शामिल होती हैं। इस पुस्तक में रूसी समाज, इतिहास, संस्कृति, अर्थव्यवस्था, राजनीतिक चहल-पहल, पर्यावरण चिंता आदि समाहित कर यह साबित कर दिया है कि शिखा वार्ष्णेय एक सिद्धहस्त रचनाकार हैं और इस पुस्तक के वृत्तांत काफ़ी रोचक और पठनीय हैं।
पुस्तक का मुल्य 300 बहुत अधिक है, खास कर पृष्ठों की संख्या देखकर तो मुझे यही लगता है। यदि पुस्तक के फोटो रंगीन होते तो लगता कि चलो इतना मूल्य जायज है, लगता है डायमंड पॉकेट बुक्स वालों ने कुछ ज़्यादा ही ज़्यादती की है पाठकों के साथ। डायमंड वालों को इसका पेपर बैक संस्करण जल्द लाना चाहिए ताकि आम पाठको को भी यह पुस्तक सुलभ हो सके।
पुस्तक का नाम | स्मृतियों में रूस |
लेखिका | शिखा वार्ष्णेय |
प्रकाशक | डायमंड पॉकेट बुक्स (प्रा.) लिमिटेड |
संस्करण | पहला संस्करण : 2012 |
मूल्य | |
पेज | 76 |
pustak smiksha achchi lgi sislibar jankari prastut
जवाब देंहटाएंki hai .
सटीक पुस्तक परिचय ...लेखिका के भावों को गहराई से लिखा है .. पब्लिशर ने मूल्य कुछ ज्यादा ही रखा है ..इस बात से सहमत हूँ ..
जवाब देंहटाएंमनोज जी!
जवाब देंहटाएंपुस्तक परिचय में इस पुस्तक के पारिकहआय की प्रतीक्षा थी, सो आज आपने आज समाप्त कर दी. आप जैसे पुस्तक/साहित्य प्रेमी जब किसी पुस्तक से परिचय कराते हैं तो वह हमारे लिए रिकमंडेशन जैसा ही होता है. बहुत ही सहज समेटा है आपने पुस्तक परिचय, हर पहलू को छूते हुए.
पुस्तक चूँकि सजिल्द है (हार्ड-बाउंड),इसलिए कीमत अधिक है.
शिखा जी की पुस्तक ‘स्मृतियों में रूस‘ की निष्पक्ष समीक्षा ने पुस्तक को पढ़ने की उत्सुकता जगा दी है।
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएं !
बहुत बेहतरीन और प्रशंसनीय.......
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।
सुन्दर पुस्तक परिचय के लिए आभार मनोज जी !
जवाब देंहटाएंठीक कहा है आपने. पुस्तक पर छपा मूल्य देखकर एक झटका मुझे भी लगा था,क्योंकि मुझे जो फाइनल फाइल भेजी गई थी उसमें मूल्य कम था और मैं निश्चिन्त थी.फिर मूल्य बढ़ाने का क्या कारण रहा ये तो प्रकाशक ही बता सकते हैं.
एक ही पुस्तक की दो-दो समीक्षाएं एक साथ...वाह क्या बात है!!!
जवाब देंहटाएं...इस स्तंभ में भी इसकी दूसरी बार समीक्षा हो रही है...इससे पूर्व संगीता स्वरूप जी लिख चुकी हैं इसके बारे में...लेकिन आपका ढ़ग कमाल का है...