जन्म --- 1398
निधन --- 1518
जबही नाम हिरदे घरा, भया पाप का नाश ।
मानो चिंगरी आग की, परी पुरानी घास ॥ 71 ॥
नहीं शीतल है चन्द्रमा, हिंम नहीं शीतल होय ।
कबीरा शीतल सन्त जन, नाम सनेही सोय ॥ 72 ॥
आहार करे मन भावता, इंदी किए स्वाद ।
नाक तलक पूरन भरे, तो का कहिए प्रसाद ॥ 73 ॥
जब लग नाता जगत का, तब लग भक्ति न होय ।
नाता तोड़े हरि भजे, भगत कहावें सोय ॥ 74 ॥
जल ज्यों प्यारा माहरी, लोभी प्यारा दाम ।
माता प्यारा बारका, भगति प्यारा नाम ॥ 75 ॥
दिल का मरहम ना मिला, जो मिला सो गर्जी ।
कह कबीर आसमान फटा, क्योंकर सीवे दर्जी ॥ 76 ॥
बानी से पह्चानिये, साम चोर की घात ।
अन्दर की करनी से सब, निकले मुँह कई बात ॥ 77 ॥
जब लगि भगति सकाम है, तब लग निष्फल सेव ।
कह कबीर वह क्यों मिले, निष्कामी तज देव ॥ 78 ॥
फूटी आँख विवेक की, लखे ना सन्त असन्त ।
जाके संग दस-बीस हैं, ताको नाम महन्त ॥ 79 ॥
दया भाव ह्र्दय नहीं, ज्ञान थके बेहद ।
ते नर नरक ही जायेंगे, सुनि-सुनि साखी शब्द ॥ 80 ॥
क्रमश:
सुन्दर प्रस्तुति |
जवाब देंहटाएंआभार ||
मन को सुकून पहुंचाने वाले दोहे ।
जवाब देंहटाएंये अनमोल बातें हैं,हालांकि इनमें से एकाध अब थोड़ी पुरानी पड़ गई हैं। मसलन,जब लग नाता जगत का, तब लग भक्ति न होय। इसलिए,हम देखते हैं कि दुनिया में सबसे गरीब हालत में कबीरपंथी ही हैं।नवसंन्यासवाद कहता है कि जगत में रहकर ही हर कोई भक्त हो सकता है क्योंकि यह जगत मिथ्या नहीं है।
जवाब देंहटाएंऊपर के दो दोहों में "नाम" शब्द आया है। यह शब्द भौतिक अर्थों वाला नहीं है।
राधारमण जी ,
जवाब देंहटाएंआभार
जहां तक ऊपर के दोहों में नाम शब्द की बात है तो मुझे ऐसा लगता है कि पहली बार नाम शब्द ईश्वर के लिए आया है और दूसरी बार विशेषण के रूप में ... अर्थात ....कबीर दास कहते हैं कि स्वयं का विवेक बेकार हो चुका है जो संत असंत को नहीं पहचानता ... जिनके आगे पीछे लोग रहते हैं उनको ही महंत के नाम से पुकारा जाता है ॥
जल ज्यों प्यारा माहरी, लोभी प्यारा दाम ।
जवाब देंहटाएंमाता प्यारा बारका, भगति प्यारा नाम ॥ 75 ॥
दिल का मरहम ना मिला, जो मिला सो गर्जी ।
कह कबीर आसमान फटा, क्योंकर सीवे दर्जी ॥ 76 ॥
बानी से पह्चानिये, साम चोर की घात ।
अन्दर की करनी से सब, निकले मुँह कई बात ॥ 77 ॥
बेहतरीन दोहावली………हार्दिक आभार
सार्थक पोस्ट, आभार.
जवाब देंहटाएंbahut sundar v sarthak dohe chune hain aapne kabeerdas ji ke .aabhar
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दिल का मरहम ना मिला, जो मिला सो गर्जी ।
जवाब देंहटाएंकह कबीर आसमान फटा, क्योंकर सीवे दर्जी ॥ 76 ॥
वाह..कबीर की वाणी अनुपम है, आभार इस सुंदर प्रस्तुति के लिये !
behtareen prastuti.
जवाब देंहटाएंaabhar ise ham tak pahuchane k liye.