प्रेरक प्रसंग-31
साधारण दिखने वाले व्यक्ति
नील साहबों के आतंक को समझने के लिए गांधी जी चंपारण आना चाहते थे। उस वक़्त आचार्य जे.बी. कृपलानी जी मुज़फ़्फ़रपुर के कॉलेज में पढाते थे। गांधी जी से उनका परिचय था। लिहाजा गांधी जी ने कृपलानी जी को पत्र लिख कर अपने आने का कारण और समय बताया। चूंकि बिहार में कृपलानी जी ही उनके जानने वाले थे, इसलिए गांधी जी ने उनसे मुज़फ़्फ़रपुर रेलवे स्टेशन पर मिलने को कहा।
कृपलानी जी और उनके अनुयायी छात्र ट्रेन के रुकने पर गांधी जी को ढूंढ़ने लगे। उनकी कल्पना में गांधी जी प्रथम श्रेणी से उतरते हुए विशिष्ट व्यक्तियों की तरह होने चाहिए थे। पर गांधी जी तीसरे दर्ज़े में एक आम आदमी की तरह खादी वस्त्र में थे। जो छात्र गांधी जी को तलाश रहे थे, वे अचरज में पड़ गए जब एक साधारण दिखने वाले व्यक्ति ने अपना परिचय गांधी के रूप में दिया।
आम आदमी जैसे दिखने वाल इस राजनेता ने अपने थोड़े दिनों के प्रवास में नील साहबों का आतंक खत्म कर दिया। आम जनता को भय मुक्त कर दिया। आम आदमी जैसे दिखने वाले गांधी जी ने यह सब किया अहिंसा और सत्य के सहारे। अपनी राजनीति को उन्होंने कसौटी पर कसा।
*** *** ***प्रेरक प्रसंग – 1 : मानव सेवा, प्रेरक-प्रसंग-2 : सहूलियत का इस्तेमाल, प्रेरक प्रसंग-3 : ग़रीबों को याद कीजिए, प्रेरक प्रसंग-4 : प्रभावकारी अहिंसक शस्त्र, प्रेरक प्रसंग-5 : प्रेम और हमदर्दी, प्रेरक प्रसंग-6 : कष्ट का कोई अनुभव नहीं, प्रेरक प्रसंग-7 : छोटी-छोटी बातों का महत्व, प्रेरक प्रसंग-8 : फूलाहार से स्वागत, प्रेरक प्रसंग-९ : बापू का एक पाप, प्रेरक-प्रसंग-10 : परपीड़ा, प्रेरक प्रसंग-11 : नियम भंग कैसे करूं?, प्रेरक-प्रसंग-12 : स्वाद-इंद्रिय पर विजय, प्रेरक प्रसंग–13 : सौ सुधारकों का करती है काम अकेल..., प्रेरक प्रसंग-14 : जलती रेत पर नंगे पैर, प्रेरक प्रसंग-15 : वक़्त की पाबंदी,प्रेरक प्रसंग-16 : सफ़ाई – ज्ञान का प्रारंभ, प्रेरक प्रसंग-17 : नाम –गांधी, जाति – किसान, धंधा ..., प्रेरक प्रसंग-18 : बच्चों के साथ तैरने का आनंद, प्रेरक प्रसंग-19 : मल परीक्षा – बापू का आश्चर्यजनक..., प्रेरक प्रसंग–20 : चप्पल की मरम्मत, प्रेरक प्रसंग-21 : हर काम भगवान की पूजा,प्रेरक प्रसंग-22 : भूल का अनोखा प्रायश्चित, प्रेरक प्रसंग-23 कुर्ता क्यों नहीं पहनते? प्रेरक प्रसंग-24 : सेवामूर्ति बापू प्रेरक प्रसंग-25 : आश्रम के नियमों का उल्लंघन प्रेरक प्रसंग–26 :बेटी से नाराज़ बापू प्रेरक प्रसंग-27 : अपने मन को मना लिया प्रेरक प्रसंग-28 : फ़िजूलख़र्ची प्रेरक प्रसंग-29 : एक बाल्टी पानी प्रेरक प्रसंग-30 : पुन्नीलाल नाई और गांधी जी
अहिंसा और सत्य की अमोघ शक्ति के बल पर गांधी जी ने ब्रिटिश हुकुमत की नींव को भी हिला दिया था । साधारण रूप में रहने वाले गांधी लोगों के बीच आदर्श पुरूष बन गए थे । प्रेक प्रसंग अच्छा लगा । धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंgandhi jee ke harek vyavhar se ham shiksha le sakte hain....
जवाब देंहटाएंसादगी । प्रेरना स्रोत्र करोंडो के --
जवाब देंहटाएंसशक्त प्रस्तुति ।
बधाई मनोज जी ।।
मिटे आम के जटिल कष्ट, हुआ आम संतुष्ट ।
आज ख़ास कोशिश करें, किन्तु होंय खुद पुष्ट ।
किन्तु होंय खुद पुष्ट, बने हैं गांधी वादी ।
कृपलानी के शिष्य, ताकिये है आजादी ।
पवन हंस पर बैठ, आज के गांधी आवें ।
कोड़ खेत मैदान, काट दे पेड़ बतावें ।।
सार्थक और सामयिक प्रविष्टि, आभार.
जवाब देंहटाएंप्रेरक प्रसंग ...
जवाब देंहटाएंisi liye to yah geet racha gaya tha shayad-sabarmati ke sant tune kar diya kamal .sundar post .aabhar
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Bahut intezaar rahta hai in prasangon ka!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर वाह!
जवाब देंहटाएंआपकी यह ख़ूबसूरत प्रविष्टि कल दिनांक 09-04-2012 को सोमवारीय चर्चामंच पर लिंक की जा रही है। सादर सूचनार्थ
बहुत सुन्दर वाह!
जवाब देंहटाएंआपकी यह ख़ूबसूरत प्रविष्टि कल दिनांक 09-04-2012 को सोमवारीय चर्चामंच पर लिंक की जा रही है। सादर सूचनार्थ
एक और प्रेरक घटना!!
जवाब देंहटाएंकभी कभी लौट के आते हैं हम
जवाब देंहटाएंरास्तों में जो भूल जाते हैं हम ।
सार्थक रचना !!!
सशक्त प्रस्तुति ।
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