अज्ञेय की कविताएं-10
उन्होंने घर बनाए
उन्हों ने
घर बनाये
और आगे बढ़ गये
जहां वे
और घर बनायेंगे।
हम ने
वे घर बसाये
और उन्हीं में जम गये;
वहीं नस्ल बढ़ायेंगे
और मर जायेंगे।
इस से आगे
कहानी किधर चलेगी?
खडहरों पर क्या वे झंडे फहरायेंगे
या कुदाल चलायेंगे,
या मिट्टी पर हमीं प्रेत बन मँडरायेंगे
जब कि वे उस का गारा सान
साँचों में नयी ईंटें जमायेंगे?
एक बिन्दु तक
कहानी हम बनाते हैं
जिस से आगे
कहानी हमें बनाती है :
उस बिन्दु की सही पहचान
क्या हमें आती है?
एक बिन्दु तक
जवाब देंहटाएंकहानी हम बनाते हैं
जिस से आगे
कहानी हमें बनाती है :
उस बिन्दु की सही पहचान
क्या हमें आती है?
कितना गहन ..
घर उन्होंने बनाए...और उन घरों को बसाया हमने!....बहुत गहनता भरी हुई है इन शब्दों में!...रचना और प्रस्तुति का जवाब नहीं!
जवाब देंहटाएंekdam sach ...
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उस बिन्दु की सही पहचान
जवाब देंहटाएंक्या हमें आती है?
खुद को खुद का ना पता, खुदा बूझता खूब ।
टुकुर टुकुर रविकर लखे, गहरे ग्यानी डूब ।
बोलेंगे अनचाही बातें,
जवाब देंहटाएंसामर्थ्य तुम्हारी पर शक होगा.
शत्रुजनों की बातें सुनकर,
क्या इससे बढ़ कर दुःख होगा?
सही उदगार .
गहन भाव लिए हुए उत्कृष्ट प्रस्तुति ।
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