रविवार, 15 अप्रैल 2012

प्रेरक प्रसंग-32 : अंधविश्वास को मिटा देना है!

प्रेरक प्रसंग-32

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प्रस्तुत कर्ता : मनोज कुमार

gandhi (10)साबरमती आश्रम में कई बच्चों को चेचक हो गया। बच्चों के इस दुख से बापू काफ़ी द्र्वित हुए। उन बच्चों की सेवा बापू स्वयं करते थे। उन्हें रोज़ गरम पानी में पोटाशियम परमैग्नेट मिलाकर टब में स्नान कराते थे।

उन दिनों गांधी जी के पोते कनु गांधी को चेचक निकली थी। गांधी जी ने उनके लिए भी वही इलाज करने को कहा। कनु गांधी की दादी ने यह सुनकर कहा, “आपको मालूम नहीं क्या, चेचक में पानी छुलाने की भी मनाही की गई है। और आप हैं कि इसे पानी के टब में बिठाने की बात कर रहे हैं। ऐसा नहीं होगा। इससे ‘माता’ नाराज़ हो जाएंगी।”

बापू ने उन्हें समझाते हुए कहा, “भाभी आप मत घबड़ाएं। ये सब अंधविश्वास है। पानी में नहलाने से ‘माता’ नाराज़ नहीं होतीं। इस आश्रम कई बच्चों को चेचक निकली है। सबका यही इलाज मैंने किया है। आज तक तो किसी से ‘माता’ नाराज़ नहीं हुईं। फिर वो कनु से कैसे नाराज़ हो जाएंगी। हमें इन पुराने रीति-रिवाज़ों, अंधविश्वासों और मान्यताओं को छोड़ना चाहिए। अगर हम ही इसे नहीं छोड़े तो हम दूसरों को कैसे कह सकेंगे? आप परेशान न हों, इसे कुछ नहीं होगा।”

कनु की दादी को गांधी जी पर पूरा विश्वास था। उन्होंने गांधी जी की बात मान ली। कनु को गरम पानी की टब में बिठाकर स्नान कराया गया। सात दिनों के बाद कनु एकदम स्वस्थ और तंदरुस्त हो गए। दादी भी काफ़ी खुश हुईं।

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9 टिप्‍पणियां:

  1. waah.....prerak prasang padhne kesath-sath acchi jankari bhi ...thanks.nd aabhar manoj jee...

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  2. बहुत सुन्दर वाह!
    आपकी यह ख़ूबसूरत प्रविष्टि कल दिनांक 16-04-2012 को सोमवारीय चर्चामंच-851 पर लिंक की जा रही है। सादर सूचनार्थ

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  3. यह अंधविश्वास बहुत गहरे पैठा हुआ था...
    प्रेरक प्रस्तुति।
    सादर आभार।

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  4. प्रेरक प्रसंग .... अंधविश्वास मुश्किल से ही टूटते हैं

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  5. गाधी जी की शिक्षा...अंधविश्वास से दूर ही राना चाहिए!...बहुत सुन्दर प्रस्तुति!...आभार!

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  6. अंधविश्वास आसानी से नहीं छूट पाता उसे छुड़ाने के लिए गांधी जैसा व्यक्ति का निकट होना बेहद आवश्क है। जो आज कि दुनिया में संभव ही नहीं। प्रेरणात्मक पोस्ट आभार

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